बड़ी पटन देवी मंदिर, बिहार: एक प्राचीन धार्मिक स्थल

भारत देश धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों से भरा हुआ है और यहां कई प्राचीन मंदिर, मस्जिदें, गुरुद्वारे और चर्चें स्थित हैं, जिनमें से बहुत से विश्वस्तरीयता के साथ जाने जाते हैं। बिहार राज्य भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है और धार्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस ब्लॉग में हम बिहार के बड़ी पटन देवी मंदिर के बारे में जानेंगे, जो भारतीय संस्कृति में एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में माना जाता है।

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बड़ी पटन देवी मंदिर प्राचीन इतिहास –

बड़ी पटन देवी मंदिर का प्राचीन इतिहास माता सती से जुड़ा हुआ है. यह मंदिर माता के 51 शक्ति पीठो में से एक है.

माता सती की कहानी –

देवी सती का जन्म राजमहल के राजा दक्ष के घर हुआ था। वे राजमहिला देवहूती और राजा दक्ष की संतान थीं। उनके जन्म के समय माता पार्वती ने उन्हें अपनी माता के रूप में सुशोभित किया। वे बचपन से ही भगवान शिव के प्रेमी थी।कथा के अनुसार, माता सती उमा नाम से भी जानी जाती हैं। उमा एक बहुत सुन्दर और प्रेमी स्वभाव की कन्या थीं जो बाल्यकाल से ही भगवान शिव का ध्यान रखती थीं। उन्हें शिव का विवाहीत अवतार माना जाता हैं।एक दिन, उमा के पिता दक्ष नामक राजा ने एक महायज्ञ का आयोजन किया जिसमें वे भगवान शिव को नहीं बुलाएं। यह देखकर उमा बहुत दुखी हुई और अपने पिता को यह समझाने के लिए गई कि वे शिव को भी यज्ञ में शामिल करें। परंतु राजा दक्ष ने उसे अवमानित कर दिया और उमा के दिल को बहुत दुख पहुंचा।

अपने पति के अपमान को सहन नहीं कर पाई और उमा ने अपने देह को दाह कर दिया। जब भगवान शिव को इसका पता चला ,तब उन्होंने बहुत दुखी होकर माता उमा का शव लेकर तांडव नृत्य किया, जिससे जगत में विप्लव और विनाश का माहौल पैदा हुआ।भगवान शिव को इस विराजमान शरीर के तांडव नृत्य को रोकने के लिए भगवान विष्णु अपने चक्र से इसे कटा देते हैं। इस प्रकार माता सती के देह के कुल 51 टुकड़े हुए. और यह सभी टुकड़े प्रथ्वी के जिस स्थान पर गिरे वह स्थान माता की शक्ति पीठ के नाम से जाना गया.बड़ी पटन देवी मंदिर में माता की जांघ के गिरने का उल्लेख पुराणों में किया गया है अतः यह स्थान भी एक शक्ति पीठ के रूप में ही जाना जाता है.

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बड़ी पटन मंदिर का इतिहास –

बड़ी पटन देवी मंदिर का इतिहास कई सदियों से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर 7वीं शताब्दी में महान गुप्त राजवंश के शासनकाल में बनाया गया था। यह मंदिर हिंदू पौराणिक कथाओं में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ऐसा माना जाता है की यह मंदिर भारत के सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक मगध साम्राज्य के दौरान बहुत ही छोटे स्वरुप में मौजूद रहा था.

मध्य काल के दुरान इस मंदिर का जीर्णोद्धार अकबर के हिन्दू सेनापति मानसिंह जी के द्वारा कराया गया था. एसा माना जाता है की मंदिर के अंदर की गयी समस्त चित्रकारी मानसिंह जी के द्वारा ही उकेरी गयी है.

ऐसा कहा जाता है की बड़ी पटन मंदिर के नाम पर ही बिहार की राजधानी का नाम पटना रखा गया है.

वास्तुकला का चमत्कार :-

मंदिर की वास्तुकला विभिन्न शैलियों का साहित्यिक मिलन है, जो प्राचीन भारतीय शिल्पकला की जटिलताओं का प्रदर्शन करती है। नागर शैली में बनी इस मंदिर में शिखर का विस्तार आकर्षक रूप से आसमान की ओर बढ़ता है। मंदिर के प्रवेशद्वार पर विभिन्न देवताओं और पौराणिक प्राणियों की अद्भुत नक्काशी से सजा हुआ है, जो दर्शकों को अपने महिमा में खींच लेती है। मंदिर में मूर्तियों के सामने एक यज्ञ कुण्ड बनाया गया है. इसके साथ किवदंती है की यज्ञ कुण्ड मे आहुति देने पर समग्री सीधे धरती के गर्भ में चली जाती है. पटन देवी मंदिर के परिसर में ही काले पत्थर की बनी महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की प्रतिमा स्थापित की हुई है. पटन देवी मंदिर कालिक मंत्र की सिद्धि के लिए प्रसिद्ध हासिल किये हुए है.

बड़ी पटन मंदिर के त्योहार और उत्सव :-

बड़ी पटन देवी मंदिर, जो पटना, बिहार के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है, विभिन्न त्योहारों और उत्सवों का अध्ययन करने का अवसर प्रदान करता है। इन त्योहारों के दौरान मंदिर भक्तों के श्रद्धा और भक्ति से भर जाता है। यहां हम बड़ी पटन देवी मंदिर के कुछ प्रमुख त्योहारों और उत्सवों के बारे में जानेंगे:

  1. नवरात्रि: नवरात्रि मंदिर के सबसे बड़े उत्सवों में से एक है। यह उत्सव नौ दिनों तक चलता है और भगवान दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का उत्साह साझा करता है। इन नौ दिनों में, लाखों भक्त और दर्शनार्थी मंदिर को धार्मिक भक्ति भाव से सजाते हैं और आराधना करते हैं।
  2. श्रावण मास के सोमवार: बड़ी पटन देवी मंदिर में श्रावण मास के सोमवार का विशेष महत्व है। श्रावण के माह में, हर सोमवार को भक्त भगवान शिव की आराधना करने के लिए मंदिर आते हैं। इस दिन मंदिर के आस-पास भजन-कीर्तन की ध्वनि सुनाई देती है और भक्तों की भीड़ जुटती है।
  3. दीपावली: दीपावली, भारत का सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है, और बड़ी पटन देवी मंदिर में भी इसे धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन मंदिर को रौंगतेदार आभूषणों से सजाया जाता है और लाखों दियों का उत्साहपूर्ण दृश्य देखने को मिलता है।
  4. होली: होली, रंगों का त्योहार, मंदिर में भी बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन भक्त और परिवारवाले मंदिर में आकर भजन-कीर्तन करते हैं और गुलाल बरसाते हैं।
  5. शिवरात्रि: बड़ी पटन देवी मंदिर में शिवरात्रि का उत्सव भी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए भक्त उपास्य देवताओं के सामने जल चढ़ाते हैं और आराधना करते हैं।

आध्यात्मिक संबल :-

बड़ी पटन देवी मंदिर का दर्शन एक अद्भुत अनुभव है, जो भक्ति से ओतप्रोत कर देता है। शांति और पवित्रता के माहौल में मंदिर की घंटियों की ध्वनि एक आध्यात्मिक महसूसी पैदा करती है। मंदिर की गर्भगृह में देवी दुर्गा की पवित्र मूर्ति है, जो भक्तों में गहरा श्रद्धा का अनुभव कराती है।

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समापन :-

बिहार के बड़ी पटन देवी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति के समृद्ध भूखंड के एक प्रतीक भी है। यह भगवान विष्णु और इतिहास प्रेमियों के लिए एक तीर्थयात्रा स्थल बनता है। चाहे आप दैविक आशीर्वाद की कामना कर रहे हों या भारतीय सांस्कृतिक विरासत का अन्वेषण करने के इरादे हों, यह चमत्कारिक मंदिर आपको निश्चित रूप से चकित करेगा। बड़ी पटन देवी मंदिर के प्रेमी बनें और इस पवित्र स्थान के रहस्यमय आकर्षण को अनुभवें।

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